कोरिया बैकुंठपुर। छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर राज्यव्यापी सर्वेक्षण के बाद जारी आंकड़ों ने शिक्षा व्यवस्था के बुरे हालात का खुलासा किया है। विशेष रूप से कोरिया जिले में सरकारी स्कूलों की तस्वीर बेहद चिंताजनक रूप में सामने आई है। जिले में संचालित कुल 522 सरकारी स्कूलों में से 162 स्कूलों को ‘डी ग्रेड’ श्रेणी में रखा गया है। यह संख्या न केवल शिक्षा विभाग के लिए चिंता का विषय है बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के बुनियादी शिक्षा स्तर को लेकर गंभीर संकेत देती है।
आंकड़ों के अनुसार जिले के लगभग 31.03 प्रतिशत स्कूल ‘डी ग्रेड’ की श्रेणी में आते हैं। अर्थात हर तीन में से लगभग एक सरकारी स्कूल ऐसा है जहां बच्चों की सीखने-समझने की क्षमता, भाषा ज्ञान और गणितीय दक्षता जैसी बुनियादी शिक्षण गुणवत्ता बेहद कमजोर है। यदि राज्य स्तर पर बताया गया औसत 17.76 प्रतिशत है, तो कोरिया जिला उससे लगभग 13 प्रतिशत अधिक खराब स्थिति में है, जो इसे शिक्षा व्यवस्था में राज्य के कमजोर जिलों में शामिल करता है।
आखिर डी ग्रेड का मतलब क्या?
‘डी ग्रेड’ स्कूल वह हैं जहां कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों में पढ़ने, लिखने, पहचानने और मूलभूत गणित (जोड़, घटाव) जैसी दक्षता मानक से काफी नीचे होती है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि इन स्कूलों में संसाधनों की कमी, प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, शिक्षण विधियों का अभाव और अभिभावकों की कम भागीदारी जैसी समस्याएं लगातार बनी हुई हैं।
सरकार ने बनाई सुधार टीम
स्थिति को देखते हुए शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों में सुधार के लिए विशेष लर्निंग इम्प्रूवमेंट टीम, ब्लॉक स्तरीय अफसरों और विशेषज्ञों की निगरानी टीम गठित की है। यह टीम बच्चों की लर्निंग क्षमता बढ़ाने के लिए स्कूलों में समय-समय पर निरीक्षण, गतिविधि आधारित शिक्षा, भाषा विकास और गणितीय कौशल पर विशेष ध्यान देगी। इसके साथ ही कमजोर प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को अतिरिक्त प्रशिक्षण दिया जाएगा।
समस्याएं: जमीनी हकीकत
कोरिया जिले के ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में स्थित कई स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम रहती है। अभिभावक शिक्षा के महत्व से अभी भी अनभिज्ञ हैं, वहीं कई विद्यालयों में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति भी चुनौती बनी हुई है। कुछ स्कूलों में भवनों की जर्जर अवस्था, पठन-पाठन सामग्री की कमी, डिजिटल संसाधनों का अभाव और मल्टीग्रेड (एक शिक्षक द्वारा कई कक्षाएं पढ़ाना) की मजबूरी शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है।
सुधार की उम्मीद
शिक्षा विभाग ने दावा किया है कि अगले शैक्षणिक सत्र तक इन स्कूलों में कम से कम 50 प्रतिशत सुधार लाने का लक्ष्य रखा गया है। विभाग का मानना है कि यदि अभिभावकों, ग्रामीण समुदाय, शिक्षा विभाग और शिक्षकों की संयुक्त सहभागिता सुनिश्चित होती है, तो इन विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में बड़ा परिवर्तन संभव है।
कोरिया जिले में शिक्षा की यह स्थिति एक चेतावनी है कि यदि अभी सुधार नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियाँ बुनियादी शिक्षा से ही वंचित रह जाएंगी। अब ज़रूरत है कि सरकार के साथ समाज भी आगे आए, ताकि जिले के बच्चे शिक्षा से नहीं, बल्कि अज्ञानता से लड़ें और उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकें।

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