चिरमिरी। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के ग्राम रतनपुर में वनभूमि से हटाए गए अतिक्रमण प्रकरण में नया मोड़ सामने आया है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद स्वयं हटाए गए व्यक्तियों ने बयान दिया है कि जिस जमीन पर उन्होंने मकान बनाया था, वह किसी करीमन नाम के व्यक्ति ने उन्हें बेची थी। ग्रामीणों के मुताबिक, उसी व्यक्ति ने उन्हें यह कहकर धोखाधड़ी से भूमि बेची कि वह राजस्व भूमि है, जिस पर वे मकान बना सकते हैं।
इस मामले को राजनीतिक रंग देते हुए कुछ नेताओं द्वारा यह दावा किया गया था कि वन विभाग ने पट्टा धारकों के घर तोड़े हैं। कांग्रेस से जुड़े कुछ स्थानीय नेताओं और दीपक बैज द्वारा जिस पट्टे को आधार बनाकर जनता के बीच भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है, उसमें दर्ज खसरा क्रमांक स्पष्ट रूप से राजस्व वनभूमि का है, न कि उस वास्तविक वनभूमि का जहाँ वृक्षारोपण हेतु भूमि सुरक्षित है और जहां से अतिक्रमण हटाया गया है।
स्पष्ट रूप से यह भी उल्लेखनीय है कि वनभूमि की खरीदी-बिक्री कानूनन पूरी तरह प्रतिबंधित है, इसलिए किसी व्यक्ति द्वारा वनभूमि को बेचने का दावा अवैध है। इसी आधार पर वन विभाग द्वारा सभी अतिक्रमणकर्ताओं को पूर्व में नोटिस जारी किया गया था और नियमानुसार हटाने की कार्रवाई की गई। विवादित भूमि वृक्षारोपण और वन संरक्षण के लिए आरक्षित है। ऐसे में निर्माण, बिक्री या कब्जा किसी भी स्थिति में मान्य नहीं है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, मामले में दोषियों के खिलाफ आगे कानूनी कार्रवाई संभव है। साथ ही, विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि किसी भी प्रकार की जमीन खरीदने से पहले संबंधित राजस्व अभिलेखों और विभागीय श्रेणी की सत्यता की जांच अवश्य करें, ताकि इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सके और वन संरक्षण कार्य प्रभावित न हो।

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