कोरिया बैकुंठपुर। छत्तीसगढ़ में हाल ही में धर्मांतरण के मामलों पर की जा रही प्रशासनिक कार्यवाहियों को लेकर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। भाजपा सरकार द्वारा विभिन्न जिलों में कथित अवैध धर्मांतरण गतिविधियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है, जबकि सरकार का दावा है कि वह केवल कानून के तहत कार्रवाई कर रही है और किसी भी कीमत पर अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रदेश के कई ग्रामीण और आदिवासी बहुल इलाकों में पिछले कुछ महीनों से धर्मांतरण को लेकर शिकायतों में वृद्धि दर्ज की गई थी। इसके बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने जांच शुरू की और आरोपों के आधार पर कुछ स्थानों पर कार्रवाई भी की। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई “कानूनी प्रक्रिया और उपलब्ध साक्ष्यों” के आधार पर की गई है। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम राज्य में सामाजिक सद्भाव बनाए रखने और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
हालाँकि, कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार इन कार्रवाइयों के नाम पर समुदाय विशेष को निशाना बना रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि सरकार, धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर रही है और यह कदम प्रदेश में राजनीतिक ध्रुवीकरण पैदा करने का प्रयास है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी किए, जिसे वे “दमनात्मक कार्रवाई के खिलाफ जनआवाज” बता रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि पूर्ववर्ती सरकार पर धर्मांतरण को संरक्षण देने का जो दावा सरकार कर रही है, वह पूरी तरह राजनीतिक है। उनका कहना है कि भाजपा जानबूझकर इस मुद्दे को उछालकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है। पार्टी ने मांग की है कि कार्रवाई पारदर्शी हो, और बिना ठोस सबूत किसी निर्दोष व्यक्ति या संस्था को परेशान न किया जाए।
दूसरी ओर, भाजपा सरकार और उसके प्रवक्ता कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय धर्मांतरण गतिविधियाँ “अनियंत्रित” थीं और अब जब वर्तमान सरकार इस पर सख्ती कर रही है तो कांग्रेस को यह रास नहीं आ रहा है। सरकार का दावा है कि “यह सुशासन की सरकार है, और अवैध धर्मांतरण करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई का उद्देश्य किसी धर्म विशेष को निशाना बनाना नहीं है बल्कि सामाजिक शांति, आपसी भरोसा और संवैधानिक प्रावधानों का संरक्षण करना है। प्रशासन का तर्क है कि शिकायत मिलने पर जांच और कार्रवाई करना उनका कानूनी कर्तव्य है।
मौजूदा विवाद ने प्रदेश में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। एक ओर कांग्रेस इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बता रही है, वहीं भाजपा इसे कानून–व्यवस्था और सामाजिक संतुलन की रक्षा का प्रयास बता रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी राजनीतिक रूप ले सकता है, क्योंकि दोनों दल इसे अपने-अपने तरीके से जनता के बीच ले जाने की तैयारी में दिखाई दे रहे हैं।

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