नीरज गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
कोरिया चरचा कॉलरी........ एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र की कोयला खदानों में हाल ही में संपन्न हुई यूनियन वेरिफिकेशन प्रक्रिया के आंकड़े प्रबंधन द्वारा जारी किए गए हैं, जो बेहद चौंकाने वाले हैं, और चुनावी कार्य शैली पर सवालिया प्रश्न चिन्ह खड़े करते हैं बैकुंठपुर क्षेत्र में कुल कर्मचारियों की संख्या लगभग 3474 बताई जाती है, वहाँ यूनियन सदस्यता सत्यापन अर्थात वेरिफिकेशन में श्रम संघ बीएमएस के 1405 एचएमएस के 1108 एटक यूनियन के 818 इंटक यूनियन के 746 और नोटा पर 730 कुल 4807 कर्मचारियों ने फॉर्म भरा इस प्रकार यूनियन वेरिफिकेशन में कर्मचारियों की वास्तविक संख्या से 1333 अतिरिक्त फॉर्म भरे गए, जबकि लगभग 300 से भी अधिक मजदूरों ने फॉर्म नहीं भरे हैं यदि उनके द्वारा भी फॉर्म भर गया तो आंकड़ों की संख्या में काफी इजाफा हो जाएगा यह सोच का विषय है! क्या यह कोई जादुई गणित है या आंकड़ों की जलेबी, जिसमें हर सच्चाई घुमा दी गई है?
चर्चा कालरी में भी कुछ ऐसा ही मज़ाक सामने आया। जहां कर्मचारियों की वास्तविक संख्या 1721 है, वहीं कॉलरी के कार्मिक विभाग द्वारा वेरिफिकेशन के पश्चात जारी सूची में 2283 कर्मचारियों द्वारा यूनियन सदस्यता फॉर्म भरा जाना बताया गया इस प्रकार यहां पर भी कर्मचारियों की वास्तविक संख्या से 562 कर्मचारी फॉर्म ज्यादा पाए गए एक श्रमिक नेता ने कहा कि अभी लगभग 200 से अधिक कर्मचारियों ने फॉर्म नहीं भरा है जिनके वेतन से सभी यूनियन की सदस्यता सूची कटौती की जाएगी इस प्रकार सैकड़ो की संख्या में अधिक फार्म पाए जाने के बारे में चरचा कालरी के कार्मिक अधिकारी का कहना है कि कुछ कर्मचारी कई यूनियनों का समर्थन पत्र भरते हैं", जिससे संख्या बढ़ जाती है यह परंपरा विगत कई वर्षों से चली आ रही है इसलिए इस वर्ष भी वही प्रक्रिया अपनाई जा रही है अर्थात सच्चाई को जानने के बावजूद लोग आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं और मुंह में ताले लगा लिए हैं।
यूनियन वेरिफिकेशन या यूनियन भ्रमवेशन........ कई श्रमिकों ने नाम न छापने के शर्त पर कहा कि उन्हें मजबूरी में एक से अधिक यूनियनों का फॉर्म भरना पड़ता है, क्योंकि "हाजिरी बाबू", "ओवरमैन", "माइनिंग सरदार" जैसे पदों पर बैठे लोग खुलेआम दबाव बनाते हैं: धमकी देकर कहा जाता है कि "हमारी यूनियन का फॉर्म नहीं भरा तो खदान में सबसे मुश्किल ड्यूटी मिलेगी, फिर मत कहना…ऐसे डर और दबाव के माहौल में श्रमिक अपनी मर्जी से नहीं, डर से यूनियन चुनते हैं। परिणामस्वरूप एक श्रमिक *एक यूनियन का ₹800 शुल्क नहीं, बल्कि कई यूनियनों का हजारों का खर्च* झेलता है। इस हेराफेरी से न केवल आंकड़ों का बलात्कार हुआ है, बल्कि श्रमिकों की आर्थिक और मानसिक स्थिति पर भी भारी चोट पड़ी है।
प्रतिवर्ष सदस्यता शुल्क में देने होते हैं सैकड़ो रुपए...... बैकुंठपुर क्षेत्र में प्रतिवर्ष श्रम संघ का सदस्य सत्यापन अर्थात यूनियन वेरीफिकेशन होता है जिसमें श्रमिकों से सदस्यता फॉर्म भरवाया जाता है सदस्यता फॉर्म भरने पर श्रमिकों के वेतन से उस यूनियन के सदस्यता शुल्क की कटौती कालरी प्रबंधन द्वारा की जाती है सूत्रों के अनुसार बीएमएस यूनियन का सदस्यता शुल्क 780 रुपए एटक यूनियन का सदस्यता शुल्क ₹800 एचएमएस यूनियन का सदस्यता शुल्क ₹1000 इंटक यूनियन का सदस्यता शुल्क 850 रुपए है सीटू यूनियन के द्वारा नोटा का फॉर्म भरवारा जाता है अर्थात हम किसी यूनियन में कटौती नहीं करना चाहते हैं वेतन से किसी प्रकार की कटौती नहीं की जाए इसके साथ ही सीटू यूनियन के द्वारा सदस्यता शुल्क के रूप में व्यक्तिगत रूप से नगद राशि ली जाती है सूत्र के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी भी यूनियन का फॉर्म नहीं भरता है तो उसके वेतन से सभी यूनियन का सदस्य शुल्क की कटौती की जाती है सभी यूनियन के सदस्यता शुल्क में कर्मचारी को लगभग₹4000 की आर्थिक क्षति पहुंचती है बावजूद इसके कर्मचारी मजबूरी में कुछ नहीं करता।
*महाभारत" का दृश्य दोहराता बैकुंठपुर. ........कहते हैं महाभारत* में जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ, तब भीष्म, द्रोण और सारे “बड़े” लोग *आंखों पर पट्टी* बांधकर चुप रहे। बैकुंठपुर में भी कुछ वैसा ही दृश्य है — सच्चाई सबको मालूम है, लेकिन किसी ने न बोलने की कसम खा रखी है।
कर्मचारी परेशान हैं, पर डरे हुए हैं। प्रबंधन को सब पता है, पर वह “परंपरा” के नाम पर आंख मूंदे बैठा है। यूनियनें, जो श्रमिकों के अधिकारों की रक्षक होनी चाहिए, वही अब डर और मजबूरी का औजार बन गई हैं।
अब प्रश्न यह नहीं कि हेराफेरी हुई या नहीं, प्रश्न यह है कि इतने वर्षों से यह चल कैसे रहा है और आज तक क्यों कोई कार्रवाई नहीं हुई? बैकुंठपुर और चर्चा क्षेत्र के आंकड़े एक गहरी जांच की मांग करते हैं। ज़रूरत है इस बहरेपन और अंधेपन को चुनौती देने की।
कहीं ऐसा न हो कि ये आंकड़े भविष्य में श्रमिकों के अधिकारों का सबसे बड़ा मज़ाक बन जाएं
क्षेत्र के श्रमिक हित में यह जरूरी है कि श्रमिकों से एक ही यूनियन के सदस्यता शुल्क को मान्य किया जाए इससे सच्चाई भी सामने आएगी जिस प्रकार रेलवे में वेरिफिकेशन के दौरान कर्मचारियों के द्वारा मात्र एक ही यूनियन का फॉर्म भरना अनिवार्य किया गया है वही पद्धति बैकुंठपुर क्षेत्र में भी होनी चाहिए।
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