49 वर्षों की गौरवशाली यात्रा.......सेशन स्मृति अखिल भारतीय गोल्ड कप फुटबॉल प्रतियोगिता...... कोल इंडिया व छत्तीसगढ़ में सबसे लंबे समय तक आयोजित होने वाली प्रतियोगिता ....... अगले वर्ष 5 दशक हो जाएंगे पूरे.....


नीरज गुप्ता की विशेष रिपोर्ट

कोरिया चरचा कालरी........ दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय खेलों की श्रेणी में सर्वप्रथम फुटबॉल खेल का जिक्र होता है यह एक ऐसा खेल है जिसे दुनिया भर में करोड़ों लोग खेलते व पसंद करते हैं इसे एक सार्वभौमिक खेल कहा जा सकता है क्योंकि हर छोटा और बड़ा देश इसे खेलता है छत्तीसगढ़ के चरचा कालरी में स्थित महाजन स्टेडियम में  कालरी प्रबंधन द्वारा आयोजित सेशन मेमोरियल गोल्ड का फुटबॉल टूर्नामेंट इतिहास रच रहा है। 


 इस गौरवशाली फुटबॉल प्रतियोगिता का यह 49 वा वर्ष है अगले वर्ष इस आयोजन का गोल्डन जुबली अर्थात 50 वां वर्ष होगा  पांच दशक का गौरवशाली इतिहास रखने वाली यह प्रतियोगिता अपने आप में अद्भुत हुआ अविस्मरणीय है यह टूर्नामेंट कोल इंडिया के इतिहास में सबसे लंबे समय तक आयोजित होने वाली एकमात्र फुटबॉल प्रतियोगिता है इसके अतिरिक्त देश की मशहूर फुटबॉल प्रतियोगिताओं में इसकी गिनती होती है सेशन मेमोरियल गोल्ड कप फुटबॉल प्रतियोगिता देश के फुटबॉल कोच और खिलाड़ियों के लिए जाना पहचाना नाम है इस टूर्नामेंट में भाग लेकर हर खिलाड़ी अपने आप को  गौरवान्वित महसूस करता है।    


ऐसे हुई गोल्ड का प्रतियोगिता की शुरुआत...... वर्ष 1967- 68 के समय चरचा कालरी में क्षेत्र प्रबंधक आर सेशन साहब पदस्थ  थे वह मजदूर  हितैषी होने के साथ ही बेहद लोकप्रिय भी  थे फुटबॉल के प्रति उनका विशेष लगाव था वर्ष 1968 के समय में चर्चा खदान मुंहाने से बैकुंठपुर रोड रेलवे स्टेशन  तक कोयला ले जाने के लिए लोको गाड़ी का उपयोग किया जाता था एक दिन उनकी गाड़ी नहीं थी तब वह लोको में बैठकर सी.एच . पी जा रहे थे तभी रास्ते में दुर्घटना हो गई और कोयले से भरे कई डिब्बे उनके ऊपर चढ़ गए उस दुर्घटना में इस पुण्य आत्मा की दुखद मृत्यु हो गई दुख की इस घड़ी में सेशन साहब को चाहने वालों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर उनकी पत्नी को सहयोग देनी चाहिए किंतु उनकी पत्नी ने पैसे लेने से मना कर दिया और कहा कि सेशन साहब को फुटबॉल का खेल बहुत पसंद था आप लोग फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कीजिए यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी तब से क्षेत्र में फुटबॉल की शुरुआत हुई वर्ष 1969 में पहली बार सेशन स्मृति फुटबॉल प्रतियोगिता श्रमवीर स्टेडियम में आयोजित की गई जो बाद में वृहद रूप लेकर अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित किए जाने लगी इसके पश्चात वर्ष 1984 में स्वर्गीय मोतीलाल महाजन के प्रयासों से यह प्रतियोगिता गोल्ड कप में परिवर्तित हो गई और इसके साथ ही दर्शकों की भारी भीड़ को देखते हुए महाजन स्टेडियम का निर्माण किया गया।  

      


चर्चा कालरी का यह फुटबॉल टूर्नामेंट न केवल छेत्रीय खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है बल्कि इसकी लोकप्रियता ने  राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान दिलाई इस टूर्नामेंट की लोकप्रियता इस कदर थी कि आसपास के गांव के लोग जब परिवहन के साधन नहीं थे तो बैलगाड़ियों में बैठकर, अपनी साइकिलों से यात्रा कर, चर्चा में फुटबॉल देखने आते थे जिला मुख्यालय बैकुंठपुर चिरमिरी मनेद्रगढ़  विश्रामपुर  अंबिकापुर तक के फुटबॉल प्रेमी चर्चा पहुंचते थे उस दौर में आकाशवाणी के द्वारा फुटबॉल की कमेंट्री का प्रसारण भी किया जाता था चरचा कालरी की तत्कालीन फुटबॉल टीम की प्रसिद्धि ने इसे  अन्य जगहों पर भी पहचान दिलाई अभिभाजित सरगुजा जिला में चर्चा की टीम अपने शानदार खेल के लिए मशहूर थी लगभग हर टूर्नामेंट में विजेता के रूप में चर्चा का कब्जा होता था चर्चा की टीम जहां भी पहुंचती थी खेल प्रेमी दशकों में टीम के प्रति बेहद उत्सुकता रहती थी और दर्शक तालिया की गड़गड़ाहट और जोरदार शोर के साथ चर्चा के खिलाड़ियों का स्वागत करते थे उस दौर में सुविधाजनक परिवहन साधनों की कमी थी, इस वजह से टीम उपलब्ध संसाधन ,डंपर या ट्रक में बैठकर टूर्नामेंट में भाग लेने जाती थी यह दृश्य बहुत ही खास रहता था क्योंकि टीम के सदस्य और समर्थक एक साथ यात्रा करते थे इस प्रकारसेशन मेमोरियल गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट न केवल खेल प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है जो खेल के माध्यम से समुदाय को जोड़ता है और युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करता है। 

चर्चा के कर्मचारियों का अद्वितीय योगदान ........ इस ऐतिहासिक प्रतियोगिता की आयोजन में चरचा कालरी के समस्त कर्मचारियों का द्वितीय योगदान है 49 वर्षों से आज तक प्रतिवर्ष  चरचा कालरी के कर्मचारी अपने एक दिन का वेतन का आर्थिक योगदान देकर इस महान प्रतियोगिता को आयोजित करते हैं देश में कई बड़ी प्रतियोगिताएं हुई किंतु 10-15 वर्षों के आयोजन के पश्चात बंद कर दी गई किंतु फुटबॉल के प्रति यहां के कर्मचारियों के लगाव ने इस आयोजन को चिरजीवी बना दिया है। 

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