प्रदर्शन या दिखावा?
स्थानीय किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया की ओर से अभी तक किसी भी कृषि योजना का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं किया गया है। केवल मूंगफली की फसल का प्रदर्शन कार्यक्रम नाममात्र का कराकर गतिविधियों की खानापूर्ति की गई है। जबकि कृषि विज्ञान केंद्र का उद्देश्य क्षेत्रीय फसलों पर अनुसंधान, किसानों को नवीन तकनीकों से प्रशिक्षित करना, मृदा परीक्षण कराना, मौसम आधारित सलाह देना, बीज उत्पादन एवं प्रसंस्करण जैसे बहुआयामी कार्यों को अंजाम देना है। परंतु इनमे से अधिकांश कार्यों की या तो शुरुआत ही नहीं हुई है या केवल कागजों तक सीमित हैं।
किसानों की पीड़ा : "नहीं मिलता कोई लाभ"
जिले के ग्राम पंचायत सलका, सालवा, बस्ती, सागरपुर, चेरी, बिशनपुर, नगर, शहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों से बातचीत में यह बात सामने आई कि उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र की गतिविधियों की जानकारी तक नहीं दी जाती। किसी भी प्रकार की कार्यशाला, सेमिनार या शिविर की सूचना ग्रामीण अंचलों तक नहीं पहुंचती। जिन योजनाओं का प्रचार-प्रसार सरकारी रिकॉर्ड में दिखाया जाता है, वे किसान तक पहुंच नहीं पातीं। ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कृषि विज्ञान केंद्र में एक ट्रक मूंगफली लगभग 500 बोरी आया लेकिन स्थानिक किसानों को नहीं मिला स्थानी किसानों ने यह भी बताया कि जिले के जनप्रतिथियों के घर तक पहुंचा पहुंचा कर दिया जा रहा है शासन की प्रदर्शनी योजना सिर्फ कागजों तक सीमित कर रह गया है।
इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया के प्रभारी कमलेश सिंह से संपर्क करने का प्रयास करने पर उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया जिससे उनका पक्ष नहीं रखा जा सका मामला चाहे जो भी हो लेकिन कोरिया जिले में कृषि विज्ञान केंद्र की गतिविधियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
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