रायपुर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ शासन द्वारा हाल ही में जारी उस आदेश को लेकर प्रदेशभर के पत्रकारों में असंतोष व्याप्त था, जिसमें स्वास्थ्य विभाग से संबंधित समाचारों के प्रकाशन एवं प्रसारण पर अप्रत्यक्ष रूप से रोक लगाने जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही थी। इस आदेश के विरुद्ध छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अवस्थी ने मुखर विरोध दर्ज कराया और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा पत्रकारिता के मूलभूत अधिकारों के विरुद्ध बताया। पत्रकार संघ के दबाव और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने उक्त आदेश को वापस ले लिया है। यह निर्णय राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
पत्रकार संघ के अध्यक्ष अरविंद अवस्थी ने इस आदेश को तानाशाही प्रवृत्ति करार देते हुए कहा था कि यह न सिर्फ प्रेस की आज़ादी पर कुठाराघात है, बल्कि आम जनता के सूचना के अधिकार को भी बाधित करता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि लोकतंत्र की मर्यादा को बनाये रखते हुए स्वास्थ्य विभाग के आदेश को तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो पूरे राज्य में पत्रकार आंदोलन करेंगे।
इस विरोध के समर्थन में विभिन्न पत्रकार संगठनों, स्वतंत्र पत्रकारों और सामाजिक संगठनों ने भी आवाज़ उठाई। सोशल मीडिया के माध्यम से यह मुद्दा व्यापक रूप से सामने आया और जन समर्थन मिलने लगा। सरकार पर दबाव बढ़ता गया कि वह प्रेस की स्वतंत्रता से छेड़छाड़ करने वाले किसी भी निर्णय से पीछे हटे।
पत्रकारों के संयुक्त प्रयासों और जनभावना को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार का अहम फैसला।
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