कोरिया में सड़क सुरक्षा और जनस्वास्थ्य का अभिनव संगम: चालकों के लिए नि:शुल्क नेत्र शिविर बना मिसाल जिला परिवहन विभाग और सामाजिक संस्थाओं की साझेदारी से जनकल्याण की अनूठी पहल को


कोरिया (छत्तीसगढ़) कोरिया जिले में सड़क सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को लेकर एक अनूठी पहल ने मिसाल कायम की है। जिला परिवहन विभाग के नेतृत्व में 1 से 22 मई 2025 तक चल रहे नि:शु

ल्क नेत्र जांच महाअभियान ने वाहन चालकों के बीच जागरूकता और स्वास्थ्य सुरक्षा की नई लहर पैदा कर दी है। इसी कड़ी में 15 मई को बैकुण्ठपुर बस स्टैंड पर आयोजित 12वें शिविर ने सैकड़ों चालकों की आंखों की जांच कर उन्हें नया आत्मविश्वास और सुरक्षा का अहसास दिलाया।

इस अभियान की सबसे बड़ी विशेषता है—दृष्टि जांच के साथ-साथ निःशुल्क चश्मों और दवाओं का वितरण। नेत्र विशेषज्ञ मोहसीन रज़ा और उनकी टीम ने शिविर में मौजूद चालकों की आंखों की बारीकी से जांच की और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तुरंत चश्मे व दवाएं प्रदान की गईं। इससे न केवल चालकों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई, बल्कि सड़क हादसों की संभावनाएं भी घटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।

जिला परिवहन अधिकारी  अनिल भगत ने बताया, “हमारा उद्देश्य केवल नेत्र परीक्षण नहीं, बल्कि सड़क पर हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। दृष्टि दोष एक बड़ा कारण है दुर्घटनाओं का—और इसे समय पर पहचानकर रोका जा सकता है।”

आर्थो वेलफेयर फाउंडेशन की सक्रिय भूमिका ने इस पहल को और प्रभावी बनाया। संस्था के अध्यक्ष शकील अहमद और उनकी टीम—मनोज कुमार मंडल, तरुण कुमार सिंह, राहुल सिंह, कु. नंदनी, आकांक्षा गिद्ध, माही पंकज और सरिता कुर्रे—ने शिविर की व्यवस्था और संचालन में अहम योगदान दिया। पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा और समन्वय में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

एक स्थानीय चालक इबरार खान ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं वर्षों से चश्मा बनवाने की सोच रहा था लेकिन समय और पैसे की कमी आड़े आती थी। इस शिविर ने मेरी समस्या दूर कर दी—अब मैं आत्मविश्वास के साथ गाड़ी चला पा रहा हूं।”

सामाजिक सहभागिता बनी अभियान की रीढ़,

इस शिविर ने यह साबित कर दिया कि जब प्रशासन और समाज मिलकर काम करते हैं, तो बदलाव अवश्य आता है। नागरिकों की भागीदारी, संस्थाओं का सहयोग और प्रशासन की दूरदर्शिता मिलकर जनकल्याण को एक नई दिशा दे सकते हैं।

चालक सुनील कुमार ने कहा, “मुझे मालूम ही नहीं था कि मेरी दृष्टि इतनी कमजोर हो चुकी है। यह शिविर मेरे लिए आंखें खोलने वाला अनुभव रहा।”

 अनिल भगत ने बताया कि इस तरह के शिविर भविष्य में भी निरंतर चलते रहेंगे, और जल्द ही रक्तचाप, मधुमेह आदि स्वास्थ्य सेवाएं भी इसमें जोड़ी जाएंगी, जिससे चालकों के समग्र स्वास्थ्य की देखभाल हो सके।

कोरिया की पहल—एक मॉडल, एक प्रेरणा,

कोरिया जिले की यह अभिनव पहल छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों और देशभर के प्रशासनिक निकायों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है। सड़क सुरक्षा केवल ट्रैफिक नियमों तक सीमित नहीं है—यह एक समग्र दृष्टिकोण है जिसमें स्वास्थ्य, जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता का समावेश आवश्यक है।

यह अभियान न सिर्फ नेत्र ज्योति दे रहा है, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता की लौ भी जगा रहा है - जो सड़क पर हर व्यक्ति की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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