नाबालिग युवक ने सुनाई आपबीती, क्या आदिवासी परिवार को विष्णु के सुशासन मे मिलेगा न्याय?
आखिर ऐसे संग्धित मामले मे प्रशासन क्यो नही दिखा रहा अपनी गंभीरता?
कोरिया बैकुंठपुर। कोरिया जिला के सोनहत थाना अंतर्गत रामगढ़ चौकी क्षेत्र से एक मामला आया है। जहां एक नाबालिक 17 वर्ष के आदिवासी युवक के साथ बिते 19 मार्च को रूह कपा देने वाली घटना हुई है। पीड़ित के मुताबिक बीते लगभग एक माह पूर्व नाबालिग युवक शाम के समय गांव से कुछ दुरी पर जंगल मे खेती बाडी का काम करता है वहा से घर आ रहा था।तभी टेढिया बांध के रास्ते मे बोलेरो गाड़ी से पार्क परिक्षेत्र रामगढ़ के पांच कर्मचारी आये और पीड़ित युवक को जंगल मे आग लगाया है, चल आफिस मे वही कहकर चारो पांचो कर्मचारी धक्का मारते हुए पीडित युवक को गाड़ी मे बैठा लिए और गाली-गलौज करते हुए रामगढ़ पार्क परिक्षेत्र के आफिस मे ले गए और सभी कर्मचारी तथा पार्क परिक्षेत्र रेंजर के द्वारा लात मुक्के से पटककर नाबालिक युवक के पैर के तलवे को डंडे से मार पीट करने लगे।
पीड़ित युवक के मुताबिक वह बार-बार उक्त कर्मचारीयो तथा अधिकारी से निवेदन करता रहा खेत गया था लेकिन उसकी बात नही सूनी गई पुरी रात पार्क आफिस के जमीन मे सुलाकर रखे थे। और गाली-गलौज बार बार करते रहे।
पीड़ित युवक के आवेदन मे लिखा है की वह उक्त लोगो का नाम नही जानता लेकिन सामने उपस्थित होने पर पहचान कर सकता है।
पीड़ित ने सिकायत पत्र मे कर्मचारीयो पर अत्याचार कर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए न्याय हेतु कार्यवाई की मांग की है।
पीड़ित परिवार से मिले विधायक प्रतिनिधी,
बुधवार को भाजपा के मण्डल महामंत्री व विधायक प्रतिनिधी मनोज साहू व दर्जनो भाजपा कार्यकताओ ने पीड़ित युवक व उसके परिवारजन से मुलाकात की तथा उक्त घटनाक्रम की जानकारी ली। इस दौरान विधायक प्रतिनिधी मनोज साहू ने कहा की नाबालिक आदिवासी युवक पर किया गया यह अत्याचार निंदनीय है, ऐसी घटना से क्षेत्र के लोग नाराज है। इस गंभीर विषय पर हम सब मिलकर पीड़ित को न्याय दिलाऐगे क्षेत्रीय विधायक व भाजपा जिलाध्यक्ष को इसकी जानकारी दूंगा और पूरी तरह से न्याय पीड़ित के साथ हो प्रयास करूँगा।
साहू ने मांग किया है की उक्त घटना पर प्रशासन तत्काल पार्क रेंजर व सभी कर्मचारीयो पर कार्रवाई करे।
महिनो पहले हुई घटना लेकिन कार्यवाई नही,
आपको बता दे की यह घटना 19 मार्च की है जो लगभग एक माह होने को है लेकिन ऐसे निर्मम और संगीन मामले पर पुलिस ने किसी अधिकारी कर्मचारी पर अभी तक कोई कार्रवाई नही की है।
सवाल उठता है की क्या प्रदेश मे अफसरशाही हावी है या वन कर्मचारीयो को कोई संरक्षण प्राप्त है क्यो की उक्त घटना काफी गंभीर व दण्डनीय है फिर भी महिनो पहले की घटना पर आज तक कोई संज्ञान नही ले रहा।
पीड़ित युवक ने सूनाई आप-बीती,
पीडित युवक ने पार्क परिक्षेत्र के कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा की गई प्रताड़ना के विषय में मुलाकात करने गई भाजपा कार्यकर्ताओं की टीम को अपने साथ हुई निर्मम घटना की आपबीती सुनाई ऐसे असंवेदनशील घटनाओं पर क्षेत्र में अंकुश लगना बेहद जरूरी है। क्योंकि वनांचल क्षेत्र में जीविकोपार्जन के लिए ग्रामीणों का आना-जाना लगातार जंगलों में रहता है एवं जंगलों से सटे घर रहते हैं। ऐसी घटनाओं से क्षेत्र में ग्रामीण पर बुरा असर पड़ता है और लगातार भयभीत रहते हैं युवक ने जिस प्रकार से बताया कि कर्मचारियों ने अपनी हैवानियत की सीमा पार कर दी पहले रास्ते में रोका फिर बलपूर्वक गाड़ी में बैठाया और पार्क परिक्षेत्र के ऑफिस ले जाकर पार्क रेंजर के साथ मिलकर पानी पिला पिलाकर मारपीट गाली गलौज के साथ रात भर बंधक बनाकर ऑफिस में पकड़ कर रखा। यह बहुत ही आसंवेदनशील मामला है वर्तमान में प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री है व विष्णु के सुशासन की दुहाई चारों ओर दी जा रही है ऐसे में देखने वाली बात होगी पीड़ित आदिवासी युवक को पूरी तरह से न्याय मिल पाता है या नहीं।
ऐसे संग्धित मामले मे प्रशासन सुस्त क्यो,
पूरे मामले को देखते हुए यह बात तो लोगों के समझ में आ गई की किस तरह से वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपना फर्ज निभा रहे हैं। पूरे घटनाक्रम में यह बात भी सिद्ध होता है कि आमजन पर घटित होने वाली घटनाओं पर न्याय मिलना थोड़ा मुश्किल ही रहता है। जबकि अभी यही मामला कर्मचारीयो के ऊपर हुआ रहता तो प्रशासन तनिक भी देर किए बिना जांच के कार्यवाही कर देती।
यह मामला इतना गंभीर है कि क्षेत्र में वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से ग्रामीण डरे सहमे है परंतु शिकायत होने के महीने भर बाद भी अभी तक घटना को अंजाम देने वाले किसी भी अधिकारी कर्मचारी पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई है यह चिंता जनक विषय है ऐसे में आम जन क्या करें कैसे उसे न्याय मिले यह बड़ा सवाल खड़ा करता है? सवाल यह भी उठता है की क्या जिस प्रकार से घटना को अंजाम दिया गया ऐसे में नाबालिक आदिवासी युवक के साथ कोई अप्रिय घटना हो जाती तभी प्रशासन या पुलिस की आंख खुलती। क्या प्रताड़ित करने वाले मामले पर आगे भी चुप्पी साधे रखेगी प्रशासन या होगी कोई बड़ी कार्रवाई देखने वाली बात होगी।
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