80 वर्षीय रामचरण ने कहा- मे ह बिकट परशान हवं मेडम, मोर आवेदन के निराकरण कर दे कलेक्टर ने दोपहर को सुनी समस्या और रात को पटवारी ने सौंपा रामचरण को राजस्व दस्तावेज पत्र कोरिया जिले में प्रशासनिक संवेदनशीलता की मिसाल बनी एक सच्ची घटना जिम्मेदारी से नागरिकों की बातों को सुने, आवेदनों को गम्भीरता से समझें और यथा समय निराकरण करें-श्रीमती चन्दन त्रिपाठी


कोरिया बैकुंठपुर।  कई बार एक अधिकारी की व्यक्तिगत संवेदनशीलता और तत्परता, किसी बुजुर्ग की ज़िंदगी में राहत की वह किरण बन जाती है, जिसका वर्षों से इंतजार होता है। कोरिया जिले की कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने गुरुवार को ऐसा ही एक उदाहरण प्रस्तुत किया, जब ग्राम जूनापारा से आए 80 वर्षीय रामचरण रजवार की भूमि संबंधी समस्या को उन्होंने स्वेच्छा से, तत्काल संज्ञान में लिया यह आवेदन सुशासन तिहार के अंतर्गत नहीं, बल्कि सीधे कलेक्टर के पास व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया गया था।

भावुक बुजुर्ग रामचरण ने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘मे ह बिकट परशान हंव मेडम मोर आवेदन के निराकरण कर दे‘। श्री रामचरण ने बताया कि उनके बड़े भाई रामबक्स के नाम पर ग्राम जूनापारा के खसरा नंबर 116 और 489 में कुल 0.7400 हेक्टेयर कृषि भूमि दर्ज है। भाई के निधन के बाद इस भूमि में उनका भी हिस्सा है और भाई के अन्य वारिस पत्नी व पुत्रवधू भी इस बात पर सहमत हैं कि उनका नाम सहखातेदार के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में जोड़ा जाए।

कलेक्टर श्रीमती त्रिपाठी ने पूरे धैर्य और मानवीय संवेदना से बात सुनी। उन्होंने मौके पर ही बैकुंठपुर तहसीलदार डॉ. अमृता सिंह को फोन कर तत्काल निराकरण के निर्देश दिए और संबंधित पटवारी व आरआई को भी सक्रिय किया। केवल निर्देश तक ही सीमित न रहकर, उन्होंने यह भरोसा भी दिया कि ‘आज ही समाधान होगा‘ और यह सिर्फ एक औपचारिक आश्वासन नहीं था बल्कि इसका ठोस परिणाम हुआ। उसी रात, लगभग 9 बजे, पटवारी श्रीमती ज्योति नेताम ग्राम जूनापारा निवासी श्री रामचरण के घर पहुंचकर उन्हें राजस्व दस्तावेज बी वन पत्र सौंपा। 

कलेक्टर श्रीमती त्रिपाठी ने कहा कि ‘यह हम सबकी जिम्मेदारी है हर नागरिकों की बातों को सुने, उनके आवेदनों को गम्भीरता से समझें और यथा समय उनका निराकरण करें।‘ यह केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं थी यह विश्वास, संवेदना और सेवा भावना का सजीव प्रमाण था। यह घटना इस बात की मिसाल है कि सच्चा सुशासन केवल अभियानों से नहीं, बल्कि अधिकारियों की व्यक्तिगत संवेदनशीलता से भी आता है। कलेक्टर त्रिपाठी ने यह साबित कर दिखाया कि यदि नीयत हो, तो नियमों के साथ मानवीयता को जोड़ा जा सकता है और प्रशासन को जनसेवा का वास्तविक माध्यम बनाया जा सकता है। इस पहल से नई पीढ़ी के अफसरों को भी यह संदेश जाता है कि संवेदनशीलता ही किसी कुशल अधिकारी की असली पहचान होती है।

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