17 बर्षोंके संघर्ष के बाद आरती को मिली कालरी की नौकरी....... कामरेड हरिद्वार सिंह के प्रयासों से मिली सफलता........


नीरज गुप्ता की विशेष रिपोर्ट

 कोरिया चरचा कालरी....... चरचा कालरी में कार्यरत रहे स्वर्गीय खेलन सिंह की पत्नी आरती को पति की मृत्यु के 17 वर्षों पश्चात अंततः अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त हुई इतने लंबे वर्षों तक संघर्ष करने के पश्चात मिली सफलता से आरती व उसके परिजन बेहद खुश हैं आरती के पति खेलन सिंह की 11 सितंबर 2009 को बिमारी के बाद मौत हो गई थी वे चर्चा कालरी में नौकरी करते थे 2010 मे खेलन सिंह की पत्नी आरती ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था चार बर्ष बाद तत्कालीन निदेशक कार्मिक ने यह कहते हुए  आवेदन ख़ारिज कर दिया कि खेलन सिंह आदतन ड्यूटी से नागा करते थे।  ऐसी स्थिति में उनको नौकरी देना संभव नहीं है बर्ष 2022  में एटक यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड हरिद्वार सिंह के पास  आरती अपने रिश्तेदार के साथ पहुँचकर सारी बात बताई कामरेड हरिद्वार सिंह ने सारी बात सुनकर एवं उपलव्ध दस्तावेजों का अवलोकन कर अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के नाम से एक आवेदन आरती की ओर से दिलवाए व लगातार प्रकरण को आगे बढ़ाने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों से सम्पर्क करते रहे और अंततः निरंतर संघर्ष  से सफलता मिली और  एसईसीएल द्वारा आरती को उसके पति की जगह अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की गई इसके अतिरिक्त आरती को उसकी पसंद की जगह हसदेव क्षेत्र के वर्कशॉप बिजुरी मे नौकरी की सुविधा दी गई  इस प्रकरण मे बैकुंठपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक श्री बी .एन. झा ,निदेशक कार्मिक श्री बिरंची दास, श्री परेडा ,श्री सुधांसु ट्रेड यूनियन के महेश यादव, अतुल गुप्ता ,नवीन खान आदि ने अहम भूमिका निभाई एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश के अध्यक्ष कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा कि देर है अँधेर नहीं ऐसे प्रकरणों को बिना कोर्ट के हल कराने में बेहद ख़ुशी होती है कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा ऐसे दर्जनों प्रकरणों का वे निराकरण कराये हैं किन्तु सुगुडी बाई और आरती का प्रकरण याद रखने लायक़ है यह मज़दूरों की जीत है। 

       उल्लेखनीय है कि कामरेड हरिद्वार सिंह लगातार कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर रहते हैं और जनसंपर्क में निरंतर सक्रिय रहते हैं उनके प्रयासों से अब तक अनेक श्रमिकों को न्याय मिला है। 

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