मिथिला या आसपास के इलाकों या संभवत: बंगाल में भी जिसे 'ओल' कहते हैं उसे बनारस की तरफ 'सूरन' कहा जाता है. और शायद दूसरे इलाकों में 'जिमीकंद'.



कोरिया बैकुंठपुर। ओल की सब्जी में जंबीरी नींबू डाल दीजिए, दुनिया की सब सब्जी फीकी है. ओल का सन्ना (चोखा) और ओल का रसदार दोनो परफेक्ट. 

मज़े की बात तो ये है कि इसे आप चाहें वेज तरीके से बनाए या नॉनवेज ओल आपको दगा नहीं देगा. जिसे मैथिली में 'तड़ुआ' या 'बड़'(पकौड़ा टाइप) बोला जाता है, चाहें तो आप वो भी बना लें. ओल को पूस-माघ में रोपा जाता है और भादो और आसिन तक आते-आते मिलने लगता है. हमारे यहां एक पुरानी कहावत है-

कियो-कियो खाइये भादवक ओल....की खाय राजा, की खाय चोर!

(यानी भादो का ओल किसी-किसी को नसीब है, या तो राजा को या चोर को!)




घर के आसपास की जमीन पर हरा-हरा ओल का पौधा और उसका स्वस्थ डंठल. पौधे पर पानी या ओस की बूंदे पड़ती हैं तो देखते बनता है. यह दरअसल पौधे की जड़ होती है. देसी या घरैइया ओल का स्वाद ही अपूर्व है. दिल्ली में 300 रुपये किलो मिले तो बेमोल खरीद लीजिए!

ओल खाने में तो स्वादिष्ट हैं ही ये मटन को टक्कर देता हैं साथ ही इसके आयुर्वेदिक गुण भी भरपूर हैं......

दिवाली के दिन पूर्वांचल और बिहार के ज्यादातर घरों में कढ़ी, चावल, पकौड़ी, सूखी सब्जी और ओल (सूरन) का चोखा या सब्जी बनता है. इस दिन ओल की सब्जी या चोखा खाने का खास महत्व है.

दीपावली की रात ओल खाने की परंपरा 

दीपावली की रात में जिमीकंद, सूरन या ओल की सब्जी या चोखा बनाने की परंपरा सर्दियों पुरानी है. जैसे मकर संक्रांति पर खिचड़ी, होली पर कटहल की सब्जी खाने की परंपरा है ठीक उसी तरह दीपावली की रात में ओल का चोखा और सब्जी खाना शुभ माना जाता है. इस दिन ज्यादातर घरों में ओल की सब्जी और चोखा बनाया जाता है. 

दिवाली में क्यों खाते हैं ओल-सूरन की सब्जी?

ऐसी मान्यता है कि ओल के चोखे का दिवाली के दिन सेवन करने से धन के भंडार में बढ़ोतरी होती है. साथ ही इसको सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है. क्योंकि इस कंद के भीतर खुद धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए दिवाली के दिन यूपी और बिहार के ज्यादातर घरों में ओल का चोखा खाया जाता है. 

क्या होता है ओल? 

ओल एक ऐसी सब्जी होती है, जिसके उत्पादन के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं होती है. ग्रामीण क्षेत्र में इस सब्जी को ऐसे जमीनों पर लगाया जाता है, जो खेती के काम में नहीं आती है. जैसे कि घर के बगल में टिला नुमा कोई खाली जगह होने पर वहां पर ओल के जड़ को गाड़ दिया जाता है. कुछ ही महीनों में जमीन के अंदर खरबूजे के आकार में यह अंदर ही अंदर विकसित हो जाता है. ओल को अगर आप जड़ से काट या निकाल देते है तो भी वह उग जाता है. 

ओल के फायदे 

दिवाली के अलावा इस सब्जी को समान्य दिनों में भी लोग काफी पसंद करते हैं. क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में कई सारे पोषक पदार्थ पाए जाते हैं. ओल आपकी शरीर को कई बीमारियों से भी रक्षा करता है. समें कैलोरी, फैट, कार्ब्स, प्रोटीन, पोटेशियम, घुलनशील फाइबर पर्याप्त मात्रा में होते हैं साथ ही इसमें विटामिन बी6, विटामिन बी1, राइबोफ्लेविन, फॉलिक एसिड, नियासीन आदि पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. ओल में विटामिन A,बीटा-कैरोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. ओल में  कैंसर तक को ठीक करने के तत्व पाए जाते हैं. 

मोटापे को करता है कम 

ओल में में ग्लूकोज की मात्रा बहुत कम होती है. शर्करा ना होने के कारण डायबिटीज के रोगी इसका सेवन कर सकते हैं. साथ ही ओल में काफी कम मात्रा में कैलोरी होती है. इसमें फाइबर की अधिकता होती है. बवासीर में भी जिमीकंद उपयोगी है. इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो कब्ज से उत्पन्न हुए बवासीर रोग को ठीक करता है. 

गठिया रोग एवं जोड़ों के दर्द के लिए भी जिमीकंद फायदेमंद है. इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम एवं आयरन होता है, जो हड्डियों के किसी भी प्रकार के रोगों को ठीक करने में उपयोगी होता है. 

ओल का चोखा कैसे बनाए?

ओल का चोखा बनाना काफी आसान है. सबसे पहले आपको ओल को दो हिस्सों में काटना होता है. इसके बाद आप इसको अच्छे से उबाल ले. जब अच्छे से उबल जाए तो ठंडा होने के लिए इसको छोड़ दे. जब ओल ठंडा हो जाए तो इसके छिलको को हटा दें. फिर हरी मिर्च और लहसुन के छोटे-छोटे टुकड़े कर ले. ओल के साथ हरी मिर्च और लहसुन के टुकड़ों को अच्छे से मिला ले. इसके बाद इसमें स्वाद के अनुसार इसमें नमक डाले. अच्छे से मिलाने के बाद इसमें थोड़ी सा सरसों का तेल डाल दें....

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ