मामला कोरिया जिले के स्कूलों के मरम्मत का ।
कोरिया / -छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले व अविभाजित नवीन एमसीबी जिले में स्कूल भवनों की जर्जर हालत किसी से छिपी नहीं है ।सैकड़ों ऐसे स्कूल व आंगनबाड़ी भवन है जहां बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने पर मजबूर है या फिर खंडहर भवन को छोड़कर निजी मकान के बरांडे में बैठने को मजबूर हैं फिर भी जिले के जिम्मेदार इससे अंजान थे ।कोरिया ही नही सरगुजा संभाग में भी हजारों स्कूल मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुके हैं, इसके अलावा कई स्कूल अति जर्जर अवस्था में हैं, जिसे इन दिनों कोरिया जिले में ढहाने के बजाय मरम्मत के नाम पर अधिकतर सात लाख तक एक भवन में ही खर्च कर दिए जा रहे जब कि कुछ और राशि मिलाकर नया भवन बन सकता है फिर भी अधिकारी तत्काल के फायदे में ग्राम सभा के प्रस्ताव को भी दरकिनार कर मरम्मत के नाम पर बिना स्थल की जाच किये टेंडर भी जारी कर दे रहे । क्या बच्चो की सुरक्षा इनकी जिम्मेदारी नही जबकि सरगुजा मुख्यालय में कलेक्टर के निर्देशानुसार जर्जर स्कूल भवनों को मरम्मत के बजाय ढहाने का कार्य जाँच के पस्चात तेजी से किया जा रहा है वहीं कोरिया जिले में अधिकारी अति जर्जर स्कूल भवनों को लेकर गंभीर नही जिससे कोरिया जिले में अब स्कूल भवन मरम्मत निर्माण के लिए चार करोड़ पचास लाख बहत्तर हजार रुपए की स्वीकृति दी गई है व निर्माण एजेंसी आर ई एस विभाग को बनाया गया हैं ।
जानकारी अनुसार समग्र शिक्षा योजना मद अंतर्गत स्कूलों की लघु और दीर्घ मरम्मत के लिए राशि कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक के आदेश से स्वीकृत किया गया है। मगर इसमें कई ऐसे स्कूल भवन की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत कर दी गई है जिन स्कूलों की मरम्मत की आवश्यकता ही नहीं है बल्कि उन्हें तोड़ कर नया बनाना है जिस संबंध में ग्राम पंचायत ने ग्राम में बैठक कर प्रस्ताव भी दिया जिसे अधिकारी ने नजरअंदाज कर दिया । जबकि जिले में अन्य जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए पंचायत व प्रधान पाठकों की मांग के बाद भी फूटी कौड़ी नहीं दी गई है। स्कूलों का चिन्हांकन चहेतों को लाभांन्वित करने समग्र शिक्षा शाखा द्वारा किया गया है। न तो स्कूलों का निरीक्षण हुआ है और न ही वहां के पंचायत से प्रस्ताव मंगाया गया है।अन्यथा पंचायत के प्रस्ताव में जिन्हें ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया उन कार्यो में कैसे मरम्मत के नाम राशि स्वीकृत हो गई जिसे लेकर सवाल उठना लाजमी हैं ।
जिले के अधिकांश विभागों में अपनों को रेवड़ी बांटने का खेल जमकर चल रहा है। शिक्षा विभाग इस मामले में हमेशा आगे रहा है। अब स्कूल मरम्मत के नाम पर करीबियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।जिसे ग्रुप टेंडर में काम बाट दिया गया जब कि यह काम ग्राम पंचायत भी कर सकता था किंतु नही दिया गया । जो अधिकारी कभीं कार्यालय में मिलते नही फील्ड से नदारद रहते हैं उन्हें शिक्षा विभाग ने निर्माण एजेंसी बना दिया जब कि हाल ही में जिले में बालवाड़ी योजना सुर्खियों में है ।जबकि जिले में लगभग 14 पंचायत ने जानकारी भेजी है जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनके स्कूल का मूल शाला भवन ढहाने की स्थिति में है और उसकी मरम्मत की आवश्यकता नहीं है।पंचायत का प्रस्ताव भी लगा है ।
प्रस्ताव कर जल्द भवन ध्वस्त का प्रस्ताव भेजा है, लेकिन इस प्रस्ताव पर किसी की नजर नहीं गई और जहां आवश्यकता नहीं है वहां मरम्मत के नाम पर मनमाने ढंग से आंख मूंदकर राशि स्वीकृत कर दी गई।
डिस्मेंटल लायक स्कूल की मरम्मत के लिए भी राशि जारी
जानकारी अनुसार कोरिया जिले में अभी एक लेटर ही मिला है जिसमे जनपद सीओ बैकुंठपुर ने खुद ही प्रस्ताव को निर्माण एजेंसी को भेजकर अवगत कराया है जहा भवन अत्यंत जर्जर है और इसके डिस्मेंटल की आश्यकता है। इसकी मांग भी की जा चुकी है मगर कुछ जर्जर स्कूल की मरम्मत के लिए दो लाख से सात लाख रूपए तक स्वीकृत कर दिया गया है।वही जनपद पंचायत बैकुंठपुर के ग्राम पंचायत सरई गहना स्कूल भवन जिसे ध्वस्त करने पंचायत से प्रस्ताव भी पास हुआ जिसकी सूचना जनपद को दी गई जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बकायदा लेटर बनाकर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के एसडीओ को इन अति जर्जर स्कूलों को ध्वस्त करने के लिए पत्र भी जारी किया है बावजूद इसके निर्माण विभाग को दिया फिर भी नया भवन स्वीकृति नही हो पाया जिस पर अब फर्श व छत मरम्मत के नाम पर तीन लाख पैसठ हजार रुपये की स्वीकृति जारी हुई जिससे ग्रामीणों में भी नाराजगी हैं जिन्होंने ग्राम सभा मे पंचायत बैठक कर विरोध करने की बात कही !
नेटवर्क मजबूत मगर काम केवल कागजों में -
शिक्षा विभाग का नेटवर्क अन्य विभागों से ज्यादा मजबूत है। सभी ब्लाक कई संकुलों में बंटे हैं और संकुल समन्वयक और प्रभारियों का दौरा आए दिन स्कूलों में होता है। इसके बाद भी किस स्कूल की स्थिति जर्जर है और कौन सा स्कूल मरम्मत के लायक नहीं है यह जानकारी विभाग नहीं जुटा पाया और स्कूलों की सूची निकालकर मनमाने ढंग से राशि स्वीकृति का प्रस्ताव कलेक्टर के पास भेज दिया गया। जिला मिशन संचालक एवं कलेक्टर ने मातहतों पर भरोसा किया और प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी कर दिया। अब स्कूलों की मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति होगी और जर्जर स्कूल जस के तस रहेंगे। जिले में यह भी जीरों टालरेंस का बड़ा नमूना होगा।
क्या था ग्राम सभा का प्रस्ताव -
जानकारी अनुसार ग्राम पंचायत से मिले प्रस्ताव के पस्चात कार्यालय जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर, जिला कोरिया द्वारा पत्र क्रमांक /4376/ निर्माण / ज.पं. / 2022 बैकुण्ठपुर दिनांक 21/10 /2022
अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग बैकुण्ठपुर जिला - कोरिया को जर्जर भवन को ध्वस्त (डिस्मेंटल) करने के संबंध में ग्राम सभा का प्रस्ताव संलग्न कर प्रस्तुत किया गया है, जिसकी सूचना उच्च अधिकारियों को भी दी गई किन्तु कार्यालय में बैठे कार्यपालन अभियंता जो कभीं फील्ड में नजर नही आये ज्यादातर कार्यालय से भी नदारत रहते हैं जिन्होंने जनपद सीओ के निर्देश व ग्राम सभा के प्रस्ताव को दरकिनार कर खंडहर भवन में भी मरम्मत के काम स्वीकृति कर टेंडर जारी कर कार्य सुरु करा दिया क्या अब अधिकारी ग्राम सभा के प्रस्ताव से बढ़ कर है !
क्या कहता हैं निर्माण एजेंसी -
इस संबंध में कार्यपालन अभियंता आरईएस विभाग के एम चौधरी ने बताया कि जो हमे सूची मिली हैं उस आधार पर कार्यो का टेंडर जारी हुआ है । शिक्षा विभाग के लिस्ट के आधार पर ही कार्यो का टेंडर हुआ है । इस संबंध में शिक्षा विभाग ही बेहतर जानकारी उपलब्ध करा पायेंगे हमे केवल समय पर कार्य करने का निर्देश हैं ।
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