एस ई सी एल बैकुंठपुर क्षेत्र बना कोयला व कबाड़ माफियाओं का गढ़: काले हीरे के साथ कबाड़ की अफरा तफरी


कोरिया बैकुंठपुर  -कोरिया  जिले की काले हीरे की नगरी एसईसीएल  के पांडव पारा ,कटकोना व चरचा  कॉलरी में  कुछ महीनों  से चालू खदान एवं बंद पड़ी कोयला खदानों में  कोयला व लोहा चोरी का सिलसिला पिछले कई महीनो बाद पुनः फल फूल रहा हैं ,जहा लगातार बेरोकटोक कबाड़ चोरी हो रही हैं, जिसके चलते क्षेत्र और बाहर से आए हुए अवैध काम को अंजाम देने वाले संदिग्ध व्यक्तियों की संदिग्ध गतिविधियों को देख कर आम जनमानस में भी भय व्याप्त होता जा रहा है ।हाल ही में पटना क्षेत्र के बंद खदानों में आए दिन चोरी की घटना सामने आ रही है। बीते एक हफ्ते में दो बार चोरी का मामला सामने आ चुका है। चोरों ने चोरी के लिए माइंस में 90 फीट की सुरंग सीढ़ी लगाकर बनाई थी, इसे एसईसीएल प्रबंधन ने बंद करावा दिया था। लेकिन चोर रस्से के सहारे माइंस में प्रवेश किए और 250 मीटर तांबे का केबल चोरी कर ले गए।बता दें कि माइंस में चोर 50-60 की झुंड में घूसते हैं, जिससे सुरक्षा में तैनात कर्मी डरे सहमे हुए है। एसईसीएल बैकुंठपुर एरिया के सहक्षेत्र कटकोना कॉलरी में पांच साल से बंद 5 नंबर कोयला खदान में लोहा, कोयला, तांबा, पीतल के केबल समेत बिजली के उपकरणों को लगातार चोर काट काटकर ले जा रहे हैं। लेकिन चोरों ने रस्सा से नई सीढ़ी बनाकर बीती रात 250 मीटर तांबा लगा केबल चुरा कर ले गए। सीनियर ओवरमैन योगेन्द्र मिश्रा ने बताया कि यहां पर 4-5 लोग पहरा देते हैं व चोर झुंड बनाकर आते हैं, जिस वजह से यहां ड्यूटी करने वाले भी डरे रहते है  । बताया जाता है आखिर ऐसी कौन सी वजह है की बैकुंठपुर  क्षेत्र के चालू खदान और बंद पड़े कोयला खदानों से बड़े पैमाने पर   चोरी का कार्य बड़ी सक्रियता से फलफूल रहा है ।


 फिलहाल प्रशानिक बदलाव के बाद आमतौर पर ऐसे कार्यों पर कुछ दिनों के लिए रोक लग जाता है ,लेकिन बैकुंठपुर  एसईसीएल क्षेत्र में ऐसा कुछ नहीं है यहां का नजारा ही कुछ और है जहा का नजारा ही बदला बदला सा लग रहा है इसके पीछे की वजह क्या है? यह तो प्रशासनिक अधिकारी ही जाने और कारोबारी जो इस काम में संलिप्त हैं जो उन्हें काम करने की अनुमति कैसे और किससे मिल जाती है और फिर बेरोकटोक व बेखोफ काम शुरू कर देते हैं आखिर ये काम  सुरक्षा पर करोड़ो खर्च करने के बाद भी पूरी तरह से  कब  बंद होगा ये सवालिया निशान लगाते हैं।

बताया जाता है कि एसइसीएल प्रबंधन भी अपने बेशकीमती उपकरणों और लोह सामग्रियों के संरक्षण के लिए अपने सुरक्षाकर्मियों सहित देश की अन्य सुरक्षाकर्मियों को भी भारी भरकम पेमेंट देकर अपने खदानों और बेशकीमती मटेरियल की सुरक्षा नहीं कर पा रहा है मिली जानकारी के अनुसार इन सुरक्षाकर्मियों की भी स्थिति संदिग्ध है ,कहीं ना कहीं इस अनैतिक कार्य में इनकी भी सहमति होती है ,जो क्षेत्र में बड़ा जन चर्चा का विषय है यही कारण है कि कबाड़ी  व कोयला चोर अपनी इच्छा के मुताबिक एस ई सी एल  बैकुंठपुर के क्षेत्र की कोयला खदानों को अपना चारागाह बनाये हुए है और  लाखों रुपए की संपत्ति को लूट कर प्रबंधन को खोखला कर रहे है वही कालरी प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी अपनी बेशकीमती सामग्रियों के संरक्षण के बजाय आपस में एक दूसरे को दोषारोपण कर मामले को ठोस कार्यवाही करवाने के बजाय एक दूसरे पर दोषारोपण करते हुए नजर आते हैं खबर यह भी है कि यदि पुलिस प्रशासन इन लोहा चोरी करने वाले कबाडियो की गाड़ियों को जप्त करता है तो प्रबंधन का कोई भी अधिकारी रिपोर्ट करने को भी तैयार नहीं होता और नहीं एसईसीएल प्रबंधन का कोई मैनेजर यह मानने को तैयार नहीं होता कि यह माल उनके कालरी का है यही कारण है कि इन काबडियो के हौसले और बुलंद हो चलें हैं । कहीं ना कहीं इन कबाडि़यो की संदिग्ध गतिविधियों पर प्रबंधन के अधिकारियों की भी संलिप्तता प्रतीत होती है, करोड़ों रुपए के बेशकीमती कलपुर्जे लोहे पीतल तांबा  कोयला एवं अन्य सामग्रियां चोरी होती हैं लेकिन कोयला कंपनी का कोई भी अधिकारी इस अपराध पर अंकुश लगाने के लिए अपनी तरफ से कोई प्रयास नहीं करता है जो पुनः कबाड़ सहित अवैध कार्यो का लगातार चलता रहना पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी  सवालिया निशान लग रहे हैं।


वर्तमान समय में अगर देखा जाए तो पूरे  बैकुंठपुर एरिया में कोयला खदानों की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे ही है, क्योंकि जिस तरह से लगातार चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं उसे लेकर सुरक्षा व्यवस्था और चोरी को रोकने पर होती नाकाम सुरक्षा एजेंसियों पर कई सवाल उठ रहे हैं। अभी की स्थिति में देखा जाए तो लगभग सभी खदानों में चोरी की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। वही भूमिगत खदान में पिछले कुछ दिनों से चोरी की घटना बढ़ी है। कहने को तो यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और हर महीने करोड़ों रुपए सुरक्षा के नाम पर खर्च भी किए जा रहे हैं। इसके बाद चोरी की घटनाओं में किसी प्रकार की कमी नहीं आ रही है। यहां दिन और रात जिस तरह से खदान के अंदर से कोयले की चोरी हो रही है उसे लेकर सवाल उठ रहा है। आखिर सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी   बंद खदान  व आसपास के अंदर से खुलेआम कोयला चोरी कैसे हो रही है या फिर यह सब मिलीभगत से हो रहा है। बंद  खदान के अंदर देखा जाए तो चारों के द्वारा बाहर निकलने बकायदा सीढ़ी तक बना कर रखे हुए  हैं । खदान के अंदर चोरी की घटनाएं ना हो इसे लेकर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सुरक्षाकर्मियों की तैनाती यहां पर की गई है तो फिर चोरी की घटनाएं घटित कैसे हो रही हैं। यहां पर जिन्हें व्यवस्था दी गई है कि चोरी की घटनाएं ना हो वह अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से सही निर्वहन नहीं कर रहे हैं। एक तरफ सुरक्षा के नाम पर बड़ी राशि खर्च की जा रही है तो दूसरी तरफ चोरी की घटनाएं रुक नहीं रही हैं।



खदानों से लगातार हो रही है कोयले की चोरी

एस ई सी एल की कबाड़ तो कबाड़ है साथ में कोयले की चोरी तो धड़ल्ले से हो रही है जिसका पूछ परख करने वाला कोई भी नहीं है फिर वह शासन हो या प्रशासन धड़ल्ले से दिन दुगनी रात चौगुनी चल रही है जहां अवैध ईट भट्ठा में इनकी खपत हो रही है जहां कोयला चोर बोरी में भरकर साइकिल और मोटरसाइकिल के अलावा पिकअप के  माध्यम से अवैध ईट भट्टों मे रोजाना पहुंचा रहे हैं जहां रोजाना लाखों का चूना लग रहा है कंपनी को । लेकिन न तो एस ई सी एल व खनिज विभाग को इसका परवाह है और न हीं संबंधित अन्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को आखिर सरकार इनको किस लिए वेतन देती है क्या सिर्फ आंखों में पट्टी बांधकर बैठे रहने के लिए।

 लाखो रुपए का तांबा व कोयला चोरी -
मामले की सूचना ग्रामीणों ने अधिकारियों व पुलिस को दी। सूचना पर खान अधीक्षक जीएस परिहार, कटकोना चौकी प्रभारी के नहीं रहने के कारण पाण्डवपारा चौकी प्रभारी रघुनाथ भगत पुलिस टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। लेकिन तब तक चोर 250 मीटर तांबा का तार ले गए थे, जिसकी कीमत करीब ढाई लाख रुपए  बताया जा रहा है।वही कोयला चोरी की कीमत लाखो में है जिसका अंदाजा नही लगाया जा सकता ।

ए एस आई ने कहा चाेरों की तलाश जारी  -
एएसआई रघुनाथ भगत ने कहा कि चोरी की सूचना मिलने पर पुलिस बल मौके पर पहुंची। चोर घटना स्थल से कुल्हाड़ी, आरी, ब्लेड, कपड़ा, टार्च, पानी बोतल छोड़ कर चोर भाग गए। जहां से चोर घुसते व निकलते हैं, वहां घनघोर जंगल होने का चोर फायदा उठा लेते हैं। चाेरों की तलाश की जा रही है।

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