सूरजपुर छत्तीसगढ़। सूरजपुर जिले के भैयाथान ब्लॉक मुख्यालय से लगे ग्राम करकोटी से एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसमें एक व्यक्ति ने राजस्व अधिकारियों और भूमि दलालों से मिलीभगत कर अपने सौतेली वृद्ध माता को फर्जी तरीके से मृत बता करोड़ों की भूमि का नामांतरण करा विक्रय कर दिया है ।
मामला भैयाथान के ग्राम करकोटी ,पटवारी हल्का नं 11 का है
जिसमें आवेदिका ने कलेक्टर
जनदर्शन सूरजपुर के समझ उपस्थित होकर शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया है जिसमें उल्लेख किया गया है की
तहसीलदार भैयाथान ने ग्राम करकोटी स्थित सड़क से लगी भूमि में से चालीस डिसमिल भूमि तथा ग्राम कोयलारी ,तहसील भैयाथान की भूमि से तीस डिसमिल के लालच में समस्त विविध प्रक्रियाओं को ठेंगे पर रखकर उसके सौतेले पुत्र विरेन्द्र नाथ दुबे के नाम कर उसे विक्रय भी करवा कर उसमें से चालीस डिसमिल भूमि अपने विश्वसनीय सहयोगी शिवम दुबे तथा संजय के नाम से ले भी ली |
आवेदिका ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है की उन्होंने 11-08- 1976 को ग्राम करकोटी में 0.405 हे. भूमि क्रय की थी |भूमि क्रय के पश्चात उनका खसरा नम्बर 45/3 रिनम्बरिंग होकर 344 बना और वे उस पर काबिज रहीं | सन 2016-17 में उनकी इस भूमि के नक्शा में त्रुटि हुई और बटाँकन भी कर दिया गया | जिसकी शिकायत आवेदन उन्होंने तहसील कार्यालय भैयाथान में किया और 12-12-2022 को न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी
भैयाथान से आवेदिका के पक्ष में निर्णय भी हो गया | इस निर्णय से क्षुब्ध होकर अनावेदक विष्णु कुशवाहा ने न्यायालय श्रीमान कलेक्टर सूरजपुर के समक्ष अपील प्रस्तुत की | यह प्रकरण विचाराधीन ही था कि शैल कुमारी के सौतेला पुत्र विरेन्द्र नाथ दुबे ने अपने पुत्र कमलेश दुबे के साथ भूमि क्रय विक्रय में सक्रिय तहसीलदार संजय राठौर भैयाथान , तहसीलदार के अतिविश्वसनीय शिवम दुबे व संजय के साथ मिलकर भूमि के लालच में लगभग एक माह में जीवित को मृत बताकर आवेदिका की भूमि का नामान्तरण ,विक्रय और विक्रय पश्चात नामान्तरण भी कर दिया |
ताज्जुब की बात तो यह है कि शैलकुमारी दुबे ने यह भूमि 11-08- 1976 को क्रय की थी और 09-02-1967 का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर इस षणयन्त्र को कार्यरूप दिया गया जो कि जमीन खरीदी के लगभग 9 वर्ष पूर्व का है ।
ध्यान देने योग्य बात है कि शैलकुमारी दुबे ने अपने दिए गए आवेदन में बताया है की इसी ग्राम करकोटी स्थित भूमि का प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में लम्बित था और अक्टूबर 2024 को कलेक्टर सूरजपुर द्वारा अनुविभागीय अधिकारी भैयाथान के माध्यम से बटाँकन विषयक प्रतिवेदन माँगा गया था जिस पर वर्तमान में ही पदस्थ राजस्व निरीक्षक व पटवारी ने शैल कुमारी दुबे से सम्पर्क भी किया था और इन्हीं पटवारी ने अभी 1967 में शैलकुमारी दुबे के मृत होने का पंचनामा भी तैयार किया है |जब चार माह पूर्व पटवारी द्वारा पीड़िता से संपर्क कर प्रतिवेदन तैयार किया गया तो फिर उनके द्वारा 1967 का मृत्यु होने का पंचनामा किस दबाव में आकर तैयार किया गया
वहीं इस संबंध में सूत्रों ने बताया की
शैलकुमारी दुबे का सौतेला पुत्र विरेन्द्र नाथ तो आदतन अपराधी प्रवृति का है जो पूर्व में अपनी कारगुज़ारियों के कारण जेल भी जा चुका है , पूरे क्षेत्र में नटवरलाल के रूप में कुख्यात है ।
ऐसे व्यक्ति पर तहसीलदार जैसे गरिमापूर्ण पद पर न्यायिक और लोकसेवक के रूप में कार्यरत पदाधिकारी द्वारा भूमि लालच में समस्त विधिक नियमों को ठेंगा दिखाते हुये जीविता को मृत बताकर उसके सौतेला पुत्र के साथ पीड़िता की भूमि हड़पने की चेष्टा दुर्भाग्यपूर्ण है |भूमि लालच में एक तहसीदार जैसे पद पर बैठा लोकसेवक इतना अन्धा हो गया कि महज एक महीने में तीन पेशी में फर्जी नामान्तरण कर नामान्तरण के तीसरे दिन भूमि विक्रय से संबंधित चौहद्दी बिना पटवारी प्रतिवेदन लिए ही मौका जांच भी स्वयं कर अपने ही हस्ताक्षर से चौहद्दी जारी किया और विक्रय पत्र निष्पादन के दिन ही तत्काल आनन फानन में बिना इश्तहार नोटिश जारी किए नामान्तरण भी कर दिया।
वहीं इस मामले में सोचनीय तथ्य है यह भी है की तहसीलदार संजय राठौर ने हल्का पटवारी को भेजे ज्ञापन व ईश्तहार में ग्राम कोयलारी स्थित भूमि का उल्लेख कर प्रतिवेदन और आपत्ति माँगी है जबकि नामान्तरण ग्राम करकोटी स्थित भूमि का किया है |
वहीं इस संबंध में यह भी बताया गया बताया की इसी भूमि से चालीस डिसमिल भूमि अपने विश्वसनीय शिवम व संजय के नाम से खरीदी और शैलकुमारी दुबे के ग्राम कोयलारी स्थित सम्मिलात खाते की भूमि से संजय के नाम एंग्रीमेंट कराकर उसे अपनी पत्नी शारदा राठौर के नाम 05-02-2025 को पंजीयन क्रमांक CG-2024-25- 184-1-2958 रजिस्ट्रार सूरजपुर रजिस्ट्री कराकर प्राप्त किया ।
पीड़िता ने बताया की तहसीलदार संजय राठौर अपने पद ,प्रभाव व धन का प्रयोग करके पीड़िता के प्रकरण में होनेवाले कार्रवाही को प्रभावित भी कर रहा है।
वहीं अब इस मामले में देखना यह बाकी है कि एक बुजुर्ग महिला को न्याय दिलाते हुए संबंधितों पर कोई ठोस कार्यवाही की जाती है या फिर सिर्फ यह आवेदन कागजों तक ही सीमित रह जाता है
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