नीरज गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
कोरिया चरचा कालरी........छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में स्थित चर्चा कालरी कोयला खदान* साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड* के *बैकुंठपुर क्षेत्र* के अंतर्गत काले हीरे की नगरी के नाम से मशहूर चर्चा खदान देश की उन विशिष्ट भूमिगत कोयला खदानों में से एक है जिसने न केवल खनन के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाई है बल्कि क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी अपना अतुलनीय योगदान दिया है चरचा कालरी विगत 61 वर्षों से कोयला उत्पादन निरंतर कर अपनी सेवाएं दे रही है।
जो वर्ष **1964** से लगातार कोयला उत्पादन में सक्रिय है। यह खदान अब तक **31 मार्च 2025** की स्थिति तक **7 करोड़ 29 लाख 32 हजार 529 टन** कोयले का उत्पादन कर चुकी है। इस कोयले की वर्तमान बाजार में अनुमानित कीमत लगभग **25,000 करोड़ रुपये** आँकी गई है, जो इसे देश की अत्यंत मूल्यवान और उत्पादक खदानों में स्थान दिलाती है। यह एक ऐसा आर्थिक स्तंभ है जो न केवल क्षेत्र बाल की पूरे देश की अर्थव्यवस्था को सुदृद्ध करता है वर्ष 2023 -24 की अवधि में 12 लाख 50 हजार टन कोयला का उत्पादन किया गया था वही 2024- 25 की अवधि में 15 लाख 98000 कोयला टन का रिकॉर्ड कोयला उत्पादन किया गया चरचा कालरी की 61 वर्षों की यात्रा केवल कोयला उत्पादन तक सीमित नहीं है बल्कि यह उत्कृष्ट सुरक्षा और सामुदायिक कल्याण का आदर्श भी प्रस्तुत करती है यह खदान न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत है भविष्य में भी चरचा कालरी अपनी प्रतिबद्धता और उपलब्धियां के माध्यम से नए आयाम स्थापित करती रहेगी।
**चर्चा कालरी को रत्नगर्भा खदान का दर्जा** इसीलिए दिया गया है क्योंकि यह न केवल उत्पादन में अग्रणी रही है, बल्कि इसने क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोयला उत्पादन के साथ-साथ खदान के संचालन ने स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए हैं तथा क्षेत्र में बुनियादी ढांचे जैसे *सड़कें, आवास, चिकित्सा सुविधाएं सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां और शिक्षा संस्थान* के विकास को भी गति दी है।
कोरोना काल में श्रमिकों का अद्वितीय योगदान....... कोरोना संक्रमण काल पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आया इस दौरान जब देश के अधिकांश उद्योग धंधे बंद हो गए थे और हर तरफ डर भयं और असुरक्षा का माहौल था तब चर्चा खदान के श्रमिकों ने अपने अदम्य साहस और कर्तव्य निष्ठा का परिचय देते हुए राष्ट्रहित में निरंतर कोयला उत्पादन जारी रखा कोरोना महामारी के दौरान जहां अधिकांश लोग अपने घरों में सुरक्षित रहने का प्रयास कर रहे थे वहीं चर्चा के श्रमिक अपनी जान की परवाह किए बिना देश की ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने में जुटे रहे कोयला उत्पादन को जारी रखना न केवल खतरों से भरा कार्य था बल्कि अत्यधिक साहस और समर्थन की मांग करता था ऐसी विषम परिस्थितियों में चर्चा खदान के श्रमिकों ने यह सुनिश्चित किया कि देश में ऊर्जा की आपूर्ति बाधित न हो ,बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक कोयले की सतह आपूर्ति उनके अधिक परिश्रम का परिणाम थी, उन्होंने अपनी जिम्मेदारियां को प्राथमिकता देते हुए यह साबित किया कि राष्ट्र हित से बढ़कर कुछ नहीं ,चर्चा खदान के श्रमिकों का यह योगदान एक मिसाल है जिसने यह सिद्ध कर दिया कि जब राष्ट्रहित की बात हो तो चुनौतियों के सामने झुकना भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है
इस उपलब्धि पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए **बैकुंठपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक*बी .एन .झा* ने कहा:
चरचा कालरी एसईसीएल की एक गौरवशाली संपत्ति है इस खदान में बीते 61 वर्षों में जो योगदान दिया है वह न केवल कंपनी के लिए बल्कि पूरे कोरिया जिले और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए प्रेरणास्पद है यहां के कर्मचारी अधिकारी और स्थानीय समुदाय की संभावित के कारण ही यह सफलता संभव हो सकी है आने वाले वर्षों में हम इस उपलब्धि को और भी आगे ले जाने के लिए कृत संकल्पित हैं हमारी प्राथमिकता उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन और सामाजिक विकास पर भी केंद्रित रहेगी।
चरचा कालरी के क्षेत्र प्रबंधक जितेंद्र कुमार ने कहा कि चर्चा कालरी की खदान ने 7 करोड़ 29 लाख टन से अधिक कोयला उत्पादन कर ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है इस अद्वितीय उपलब्धि के प्रति हम सभी बेहद गौरवान्वित हैं सभी कर्मचारी अधिकारी का अहम योगदान है भविष्य में और भी अधिक उत्पादन करेंगे।
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