नीरज गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
चरचा कालरी,,,,,,,रात-दिन अथक परिश्रम कर देश की ऊर्जा आपूर्ति के प्रमुख स्रोत कोयला उत्पादन को निरंतर बनाए रखने वाले चर्चा कालरी के कोयला श्रमिकों की स्थिति बेहद चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है। जान जोखिम में डालकर खून-पसीना बहाने वाले इन श्रमिकों को न तो कार्य के दौरान सुरक्षा मिल रही है और न ही कार्य के पश्चात चैन की नींद।
चर्चा कालरी में श्रमिकों को आवंटित किए गए अधिकांश आवास अत्यंत जर्जर अवस्था में हैं। ये आवास कई दशकों पुराने हैं और अब रहने योग्य नहीं बचे हैं। आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत भी प्रबंधन ने यह स्वीकार किया है कि आवास खस्ता हालत में हैं, फिर भी इन आवासों में श्रमिकों को जबरन रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
कई आवासों की छतों से प्लास्टर टूटकर गिर रहा है और हल्की बारिश में ही छतें टपकने लगती हैं। इस स्थिति में रहने वाले श्रमिकों के परिजन हमेशा चिंता में रहते हैं। कोई भी सामान सुरक्षित नहीं रहता, कपड़े-बर्तन सब भीग जाते हैं। दीवारों में पानी की सीलन के कारण करंट फैलने का खतरा बना रहता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है। 10 अप्रैल को हुई बारिश ने श्रमिक परिवारों को बदहाल कर दिया जबकि आगे पूरा बरसात का मौसम बाकी है श्रमिक आवास क्रमांक 1706 की स्थिति बहुत ही बदतर है आवास में रहने के दौरान श्रमिक व उसके परिजनों के साथ यदि किसी प्रकार की अप्रिय घटना होती है तो उसके लिए पूरी तरह से कॉलरी प्रबंधन जिम्मेदार होगा
इस संबंध में कई बार श्रमिकों ने लिखित में आवेदन देकर मरम्मत कार्य की मांग की है, लेकिन कागज़ों से आगे कोई कार्यवाही नहीं हो रही। क़ार्मिक विभाग के अधिकारी श्रमिकों की समस्याओं को लेकर पूरी तरह आंखें मूंदे हुए हैं।
हाउसिंग कमेटी के जिम्मेदार अधिकारी भी मनमानी पर उतारू हैं। आवासों का आवंटन भेदभावपूर्ण तरीके से किया जा रहा है। कई विभागीय अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों को भी आवास दे दिए हैं, जबकि कॉलरी में काम करने वाले कई श्रमिकों को आज तक विभागीय आवाज की सुविधा नहीं मिली है आवास सुविधा से वंचित श्रमिक जब आवास की मांग करते हैं तो उन्हें कहा जाता है – "कौन सा क्वार्टर खाली है, खोज कर बताइए, तभी मिलेगा।"अभी कई आवास जेएमएस और टीएमसी प्राइवेट कंपनी को दे दिया गया है यह गैर जिम्मेदाराना रवैया श्रमिकों के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाता है। श्रमिकों के द्वारा आवास मरम्मत करने के लिए आवेदन सा क्षेत्र प्रबंधक के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है जिसे वह कार्यवाही हेतु सिविल विभाग के पास भेजते हैं किंतु चर्चा कालरी का सिविल विभाग श्रमिक के आवेदन को रद्दी कागज की टोकरी में फेंक देता है श्रमिक लगातार आवेदन देते हैं किंतु उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती अधिकारियों की लापरवाही के प्रति श्रमिकों की सहनशीलता कब तक रहेगी यह नहीं कहा जा सकता किंतु यह भी स्पष्ट है कि कालरी के अधिकारी यह इंतजार कर रहे हैं की किसी दिन बड़ा आंदोलन हो और तब उनकी आंखें खुलें कॉलरी के मेहनत कश श्रमिकों को आवास न देकर प्राइवेट कंपनी जेम्स और टीएमसी के कर्मचारियों का आवास देना कहां तक उचित है जबकि प्राथमिकता के रूप में कालरी के कर्मचारी हकदार हैं
एससीसीएल का CSR (कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व) भी केवल दिखावे तक सीमित नजर आ रहा है। यदि शीघ्र ही इन समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया, तो यह एक बड़ी प्रशासनिक विफलता साबित होगी।जरूरत है कि प्रशासन श्रमिकों की समस्याओं को गंभीरता से ले और तत्काल प्रभाव से आवासों की मरम्मत एवं नवीनीकरण की प्रक्रिया शुरू करे, जिससे वे सम्मानपूर्वक और सुरक्षित जीवन जी सकें।
0 टिप्पणियाँ