श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Shri ...12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर पौराणिक कथाओं और रहस्यों से भरा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां पांडवों द्वारा पीछा किए जाने पर भगवान शिव बैल में परिवर्तित हो गए थे और जमीन में अंतर्ध्यान हो गए थे, तथा अपने कूबड़ को पवित्र शिवलिंग के रूप में पीछे छोड़ गए थे । यह अनोखा, कूबड़ के आकार का शिवलिंग मंदिर में पूजा का केन्द्र बिन्दु है


पौराणिक महत्व:

पांडव और शिव:

मंदिर का इतिहास महाभारत युद्ध के बाद पांडवों द्वारा अपने पापों का प्रायश्चित करने की खोज से जुड़ा हुआ है।   

बैल अभिव्यक्ति:

भगवान शिव ने पांडवों से बचते हुए बैल का रूप धारण किया और केदारनाथ में धरती में समा गए।   

कूबड़ के आकार का शिवलिंग:

केवल बैल का कूबड़ ही दिखाई दे रहा था, जो अब प्रतिष्ठित शिवलिंग है।   

मोक्ष:

हिंदू ग्रंथों में कहा गया है कि केदारनाथ के दर्शन करने और मंदिर के कुंड (जलाशय) का पानी पीने से जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।   

अनन्य विशेषताएं:

हिमालयी स्थान:

यह मंदिर हिमालय में काफी ऊंचाई (3,583 मीटर) पर स्थित है, जिसके कारण यहां केवल कुछ महीनों के दौरान ही पहुंचा जा सकता है।   

वास्तुकला:

उत्तर भारतीय हिमालयी शैली में निर्मित यह मंदिर विशाल पत्थर की पट्टियों से बना है।   

भीम शिला:

ऐसा माना जाता है कि मंदिर के पीछे स्थित एक बड़े पत्थर ने 2013 की विनाशकारी बाढ़ से इसकी रक्षा की थी।   

अनन्त लौ:

कहा जाता है कि सर्दियों के दौरान जब मंदिर बंद रहता है तब भी मंदिर के अंदर एक दीपक जलता रहता है।   

अन्य दिलचस्प तथ्य:

ऐतिहासिक महत्व: इस मंदिर का जीर्णोद्धार 8वीं-9वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।   

मौसमी बंद: खराब मौसम के कारण मंदिर वर्ष में केवल छह महीने ही खुला रहता है।   

तीर्थ यात्रा: केदारनाथ चार धाम और पंच केदार तीर्थयात्रा सर्किट का एक हिस्सा है।

#kedarnath #sawan #sawansomwaश्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Shri ...12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर पौराणिक कथाओं और रहस्यों से भरा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां पांडवों द्वारा पीछा किए जाने पर भगवान शिव बैल में परिवर्तित हो गए थे और जमीन में अंतर्ध्यान हो गए थे, तथा अपने कूबड़ को पवित्र शिवलिंग के रूप में पीछे छोड़ गए थे । यह अनोखा, कूबड़ के आकार का शिवलिंग मंदिर में पूजा का केन्द्र बिन्दु है।   

पौराणिक महत्व:

पांडव और शिव:

मंदिर का इतिहास महाभारत युद्ध के बाद पांडवों द्वारा अपने पापों का प्रायश्चित करने की खोज से जुड़ा हुआ है।   

बैल अभिव्यक्ति:

भगवान शिव ने पांडवों से बचते हुए बैल का रूप धारण किया और केदारनाथ में धरती में समा गए।   

कूबड़ के आकार का शिवलिंग:

केवल बैल का कूबड़ ही दिखाई दे रहा था, जो अब प्रतिष्ठित शिवलिंग है।   

मोक्ष:

हिंदू ग्रंथों में कहा गया है कि केदारनाथ के दर्शन करने और मंदिर के कुंड (जलाशय) का पानी पीने से जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।   

अनन्य विशेषताएं:

हिमालयी स्थान:

यह मंदिर हिमालय में काफी ऊंचाई (3,583 मीटर) पर स्थित है, जिसके कारण यहां केवल कुछ महीनों के दौरान ही पहुंचा जा सकता है।   

वास्तुकला:

उत्तर भारतीय हिमालयी शैली में निर्मित यह मंदिर विशाल पत्थर की पट्टियों से बना है।   

भीम शिला:

ऐसा माना जाता है कि मंदिर के पीछे स्थित एक बड़े पत्थर ने 2013 की विनाशकारी बाढ़ से इसकी रक्षा की थी।   

अनन्त लौ:

कहा जाता है कि सर्दियों के दौरान जब मंदिर बंद रहता है तब भी मंदिर के अंदर एक दीपक जलता रहता है।   

अन्य दिलचस्प तथ्य:

ऐतिहासिक महत्व: इस मंदिर का जीर्णोद्धार 8वीं-9वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।   

मौसमी बंद: खराब मौसम के कारण मंदिर वर्ष में केवल छह महीने ही खुला रहता है।   

तीर्थ यात्रा: केदारनाथ चार धाम और पंच केदार तीर्थयात्रा सर्किट का एक हिस्सा है।

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