कोरिया रायपुर — छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले, धमकियाँ, फर्जी मुकदमों में फंसाने की घटनाएँ और प्रशासनिक उत्पीड़न के बीच छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अवस्थी ने राज्य सरकार से एक महत्वपूर्ण मांग की है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में गठित पत्रकार सुरक्षा कानून समिति को पुनः सक्रिय करने तथा इस दिशा में ठोस कार्यवाही करने की मांग की है।
पत्रकारों की स्थिति चिंताजनक है
प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार यह सूचनाएं सामने आ रही हैं कि पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग के कारण जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे पत्रकारों को खासतौर पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जहाँ एक ओर वे सीमित संसाधनों में जनहित की खबरें जनता और शासन-प्रशासन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें धमकियाँ, सामाजिक बहिष्कार, और कई बार शारीरिक हमले जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है।
हाल ही में प्रदेश के कुछ हिस्सों में पत्रकारों पर झूठे मामले दर्ज किए जाने की घटनाओं ने मीडिया जगत में आक्रोश और असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है। ऐसी परिस्थितियों में पत्रकारिता जैसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सुरक्षित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता
अरविंद अवस्थी ने बताया कि पत्रकार सुरक्षा कानून सिर्फ पत्रकारों के हित में नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर पत्रकार सुरक्षित नहीं रहेंगे तो ऐसी स्थिति में निष्पक्ष पत्रकारिता असंभव सा प्रतीत होता है।
0 टिप्पणियाँ