सुशासन तिहार 2025-संवाद, सेवा और समाधान का पर्व जनता के दरवाज़े तक सरकार की दस्तक, समाधान शिविरों से भरोसे की बहाली


कोरिया बैकुंठपुर। जब कोई सरकार स्वयं को जनता की अदालत में प्रस्तुत करती है और जनाकांक्षाओं के अनुसार अपने कार्यों का मूल्यांकन करवाती है, तो यह केवल राजनीतिक कार्यक्रम नहीं रह जाता, बल्कि लोकतंत्र के परिपक्व होने का प्रमाण बन जाता है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में आयोजित 'सुशासन तिहार 2025' इसी सोच का सशक्त उदाहरण है।

एक नई प्रशासनिक संस्कृति की शुरुआत,

'सुशासन तिहार' केवल एक सरकारी आयोजन नहीं, बल्कि शासन और जनता के बीच संवाद, सहयोग और समाधान की त्रिस्तरीय प्रक्रिया की शुरुआत है। 8 से 11 अप्रैल तक आयोजित पहले चरण में प्रदेश के कोने-कोने से लाखों लोगों ने समाधान पेटियों और ऑनलाइन माध्यमों से अपनी समस्याएं, शिकायतें और सुझाव सरकार तक पहुँचाए। इन आवेदनों पर त्वरित संज्ञान लेकर विभागीय कार्यवाही की गई और अब तीसरे चरण में, 5 मई से 31 मई 2025 तक समाधान शिविरों के माध्यम से इनका मूल्यांकन और समाधान आमजन के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

समाधान शिविर–प्रशासनिक संवेदनशीलता की मिसाल,

इन शिविरों में प्रत्येक आवेदनकर्ता को उनकी समस्या के निपटारे की स्थिति की जानकारी दी जाएगी, कई समस्याओं का स्थल पर ही निराकरण किया जाएगा। हितग्राहियों को प्रमाण-पत्र, योजनाओं का लाभ और तकनीकी परामर्श भी प्रदान किया जाएगा। यह प्रक्रिया सरकारी जवाबदेही को केवल कागज़ों तक नहीं, बल्कि धरातल तक ले जाने का प्रयास है।

जनता की अपेक्षाओं पर खरी उतरी सरकार,

केवल 16 महीनों में, सरकार ने अनेक ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। धान बोनस का दो वर्षों का लंबित भुगतान, सबसे ज्यादा दाम पर धान खरीदी, महतारी वंदना योजना के अंतर्गत 70 लाख विवाहित महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा, कामकाजी महिलाओं के लिए महतारी सदनों का निर्माण, तेंदूपत्ता दर में ऐतिहासिक वृद्धि, सीबीआई जांच के माध्यम से युवाओं को न्याय, मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना, कौशल विकास मिशन और युवाओं को रोज़गार, शासकीय विभागों में 9 हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया, शासकीय भर्तियों में 5 वर्ष की आयु सीमा में छूट, नवा रायपुर में आईटी हब की स्थापना से रोजगार के नए अवसर की संभावनाएं बढ़ गई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति की पहल, आदिवासी संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन के साथ प्रदेश में स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पेयजल, अधोसंरचना व पर्यटन विकास के लिए लगातार प्रयास करना भी शामिल है।

बस्तर से बदलती छत्तीसगढ़ की तस्वीर,

एक समय था जब बस्तर की पहचान बंदूक, बारूद और डर के साथ जुड़ी हुई थी। लेकिन आज वहाँ स्कूलों की घंटियाँ गूंजती हैं, सड़कों पर विकास की रफ्तार दिखाई देती है। सरकार की नीति 'गोली नहीं, बोली से समाधान' अब ज़मीनी सच बन रही है।

बजट नहीं, बदलाव की योजना

वर्ष 2025-26 के 1.65 लाख करोड़ रुपये के बजट में प्राथमिकता दी गई है।  मानव विकास, सामाजिक न्याय और समावेशी अर्थव्यवस्था को। डिजिटल ट्रैकिंग, विभागीय समन्वय और उत्तरदायित्व तय करते हुए सरकार ने लालफीताशाही पर प्रहार किया है।

'सुशासन तिहार' न तो केवल योजनाओं का प्रदर्शन है और न ही प्रशासन का औपचारिक चेहरा, बल्कि यह उस नए छत्तीसगढ़ की पहचान है जहाँ जनता, शासन की प्रक्रिया का भागीदार है। यह लोकतंत्र का वह चेहरा है जो केवल वोट तक सीमित नहीं, बल्कि संवाद, सेवा और समाधान तक फैला है।

इस तिहार के माध्यम से छत्तीसगढ़ यह संदेश दे रहा है कि जब सरकार सुनती है, तो जनता जुड़ती है और जब जनता जुड़ती है, तो विकास टिकाऊ बनता है।


(एल.डी.मानिकपुरी,

सहायक जनसंपर्क अधिकारी, कोरिया)

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